युवा संवाद अभियान – पानीपत कार्यशाला की रिपोर्ट
युवा संवाद अभियान की कार्यशाला 12 -13 अगस्त 2015 को निर्मला देशपांडे शिक्षण संसथान, पानीपत में उत्साहजनक माहौल में अगले पांच वर्षों में संवाद कर युवा –शक्ति को नयी विश्व व्यवस्था के निर्माण में कारगर भूमिका निभाने के लिए तैयार करने के संकल्प के साथ संपन्न हुआ. इस कार्यशाला में हरियाणा, दिल्ली , उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश ,राजस्थान ,गुजरात, तेलंगना, महाराष्ट्र ,उत्तराखंड, जम्मू एवं कश्मीर, पश्चिम बंगाल, बिहार,झारखण्ड अदि 13 राज्यों के 125 प्रतिनिधिओं ने भाग लिया. इस कार्यशाला में हरियाणा के तीन विश्वविद्यालय महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं भक्त फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय की छात्र –छात्राओं ने भी भाग लिया. महत्वपूर्ण बात यह थी कि इसमें छात्राओं की उपस्थिति छात्रों से ज्यादा थी. दो दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला को देश के जानेमाने विचारक, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता,अर्थशास्त्री,लेखक,पत्रकार,युवा कार्यकर्ता एवं युवाओं ने अपने सक्रिय भागीदारी से जीवंत बना दिया. इस कार्यशाला में वर्तमान राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य, भारत और भारतीयता को मजबूत करना, इतिहास: भ्रम एवं हकीकत, वर्तमान विकास की दिशा एवं विकल्प तथा अभियान का अगला चरण कार्यक्रम एवं रणनीति अदि विषयों पर संवाद हुआ तथा आगे की कार्य योजना बनाई गई.
गाँधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्षा सुश्री राधा भट्ट ने कहा कि अभियान की पहली कार्यशाला में युवतियों का बड़ी संख्या में शामिल होना अच्छी बात है. विकास को आप क्या मानते है?.विकास की अवधारणा पर बात होनी चाहिए .मेरी पीढ़ी पैसों के आधर पर,जी डी पी के आधार पर विकास की बात करती है. अर्थशास्त्री भी इसी आधार पर मूल्यांकन करते है. उसी के आधार पर हमें वैकल्पिक विकास की बात नहीं करनी चाहिए. इस देश के लिए सही विकास की नीति लायेंगे तभी युवा संवाद होगा. विकास की वर्तमान भोगवादी मॉडल के कारण दुनिया में पर्यावरण का संकट गहराता जा रहा है. दुनिया संकट में फँस गई है. पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए विकास के लक्ष्य को बिलकुल बदलने की जरुरत है. विकास के लिए अलग विश्व दृष्टि चाहिए जिसमें मनुष्य की नियति प्रकृति पर या वनस्पति जगत समेत अन्य प्राणियों पर विजय प्राप्त करना नहीं, उसके साथ एक नए तरह का तादात्म्य स्थापित करना है. वस्तुओं का उत्पादन वही तक हो जितना मनुष्य के शारीरिक एवं अध्यात्मिक विकास के लिए जरुरी है, उपभोग का ऐसा स्तर हो जो न इतना कम हो कि अभाव से आक्रांत मनुष्य की सारी ऊर्जा उपभोग की वस्तु जुटाने में लग जाए और न इतना ज्यादा कि वस्तुओं का अम्बार लगाने में मनुष्य का सारा कार्यकाल और कल्पना ख़त्म हो जाए.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता विलास सोनवने ने कहा कि मोदी की आलोचना बहुत भौंडे तरीके से की जा रही है. विकास की रफ़्तार बढ़ाने के लिए पूरी दुनिया में वे यह कहते घूम रहे है कि भारत में विशाल बाज़ार, सस्ता श्रम, सस्ते संसाधन उपलब्ध कराएँगे. लेकिन निवेश बढ़ नहीं रहा है. वाईब्रेट गुजरात के लिए 1,25,000 करोड़ का वादा हुआ था.लेकिन वास्तव में 10,000 का भी निवेश नहीं हुआ.गुजरात वाईब्रैंट होने के बजाय वाईब्रेट मोड में चला गया है. दुनिया एक होने के कुछ सकारात्मक पक्ष है तो नकारात्मक पक्ष भी बहुत है. अमेरिका की 50 प्रतिशत अर्थव्यवस्था चीन पर निर्भर है. ग्रीस में जब संकट आया तो अमेरिका मजे में था कि यूरोप डूबेगा तो वह राज करेगा. लेकिन जैसे ही चीन के शेयर बाज़ार में गिरावट आई अमेरिका के साथ भारत भी चिंतित हुआ.
हमारे सामने सवाल है हम हिंदुत्व की व्याख्या कैसे करें? उत्तर भारत में सगोत्र शादी वर्जित है जबकि दक्षिण भारत में मामा की लड़की के साथ शादी होती है. बंगाल सूबे में अंग्रेजों के खिलाफ साधु और फ़क़ीर दोनों ने मिलकर लड़ाई लड़ी थी. उस घटना के बाद हम देश में हिन्दुत्ववादी राजनीति की शुरुआत देख सकते हैं. वंकिमचंद्र से लेकर तिलक तक सभी ने हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीति की. धर्म को राष्ट्रवाद का हथियार बनाया. महात्मा गाँधी ने धर्म को राष्ट्रवाद के तौर पर पेश किये जाने के खिलाफ भाषा को सांस्कृतिक राजनीति का मुद्दा बनाया. कांग्रेस समितियों की भाषा के आधार पर पुनः रचना की. आज पूरे देश में धर्म को राष्ट्रवाद का हथियार बनाया जा रहा है. गाँधी ने पहली बार यह रेखांकित किया था कि एकता के लिए विविधता की बलि नहीं दी जा सकती
अब जरा जाति के सवाल की बात करे . पूना करार में क्या है? गांधीजी कह रहे थे सभी जातिया सामानांतर आनी चाहिए. जातियां सामानांतर आने लगी है. सभी जातियों में अलग –अलग वर्ग का निर्माण होने लगा है. 1980 में संघ सरसंचालक वाला साहेब देवरस ने सोशल इंजिनीयरिंग की शुरुआत की . महाराष्ट्र में उसने महार ,मराठा ,मुस्लिम को छोड़ कर बाकी सभी जातियों में सोशल इंजिनीयरिंग का प्रयोग किया .उसने नन-मराठा, नन-महार ,नन-मुस्लिम नेतृत्व पैदा किया. गोपीनाथ मुंडे, नरेन्द्र मोदी उसी प्रयोग के प्रोडक्ट हैं. आर एस एस ने एबीवीपी में अभियान चलाया कि ब्राह्मण लड़कियां ओ बी सी लड़कों से शादी करें. उनके लिए लड़कियां साधन मात्र हैं .
गांधीजी जाति के साथ भाषा की बात करते है. संघ ने धर्म को मोनोलिथिक रूप में पेश करने की जो राजनीति की उसमें जाति और भाषा मुख्य रोड़ा है. भाषा और जाति में अंतर्संबंध है गांधीजी इस अंतर्विरोध को पहचाने में सफल रहे. अब गाँधी के समय की विश्व दृष्टि और आज की विश्व दृष्टि में फर्क है. आज पूरी दुनिया में पूंजीवाद संकट में है. आज की पीढ़ी के सामने नए समाज के निर्माण का कोई माडल नहीं है. उन सवालों को समझने के लिए हमें वैकल्पिक विकास के माडल की बहस चलानी होगी. मार्क्स के बाद गाँधी पहले व्यक्ति है जिन्होंने बेगानेपन (alienation)को पहचाना था. पूंजीवाद मनुष्य को प्रकृति से तोड़ देता है. आज प्रकृति से तोड़े जाने की प्रक्रिया को पूंजीवाद ने चरम पर पंहुचा दिया है.ऐसे समय में गाँधी ने वैकल्पिक समाज की चर्चा निसर्गपूरक मानव समाज के रूप में की, उसे केंद्र में लाने की जरुरत है.
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. कमल नयन काबरा ने कहा कि पिछले दिनों सोशल इकोनोमिक सर्वे आया है वह विभिन्न जातियों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को दर्शाती है. यह सर्वे बतलाता है कि आज़ादी के आन्दोलन के दौरान जिस परिवर्तन की कल्पना की गई थी,1947 के बाद के वर्षो में वह नाकारा साबित हुई है. आज़ादी के बाद जनसंख्या में लगभग चारगुना वृद्धि हुई लेकिन राष्ट्रीय आय में हजार गुना वृद्धि हुई है. परन्तु वास्तविक वृद्धि 30 प्रतिशत भी नहीं है. 18 करोड़ परिवार गाँव में रहते हैं जो कुल जनसँख्या का 70 प्रतिशत है, जहाँ विजली,पानी,अस्पताल,शौचालय जैसी जन सुविधा नहीं है. स्थिति आज आज़ादी के पहले से भी बदतर है. वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा एवं चिकित्सा सेवा के निजीकरण के कारण समाज के कमजोर तबकों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है,यह उनकी पहुँच से बाहर होती जा रही है. उन्होंने तीन बड़ी चिंताएं आर्थिक असमानता, सामाजिक भेदभाव तथा साम्प्रदायिकता की ओर युवाओं का ध्यान आकृष्ट किया और इसके खिलाफ युवाओं को एकजुट संघर्ष का आह्वान किया.
कार्यक्रम के प्रारंभ में निर्मला शिक्षण संस्थान के प्रमुख एवं नित्य नूतन के संपादक राम मोहन राय ने कार्यशाला में आये सभी लोगों का स्वागत किया. उन्होंने विस्तार से पानीपत का इतिहास एवं संकृति तथा निर्मला शिक्षण संस्थान की गतिविधियों से सभी को अवगत कराया.
अशोक भारत ने युवा संवाद अभियान की प्रस्तावना प्रस्तुत की. उन्होंने कहा कि जिस स्वराज्य के लिए हमारे शहीदों, राष्ट्रनिर्माताओं तथा असंख्य लोगों ने शहादत दी वह स्वराज्य अभी आम लोगों तक पहुंचा नहीं है. आज़ादी का जो अधूरापन है उसे पूरा करने का नाम है युवा संवाद अभियान. इतिहास गवाह है कि बदलाव की अगुवाई हमेशा युवाओं ने की है .युवा आदर्श के लिए जीता और आदर्श के लिए क़ुरबानी दे सकता है. युवा वह होता है जो अपना रास्ता खुद बनाता है .नए समाज के निर्माण का सपना देखता है. सपना वह नहीं जो नींद में आता है, सपना वह होता है जो हमें सोने नहीं देता है. युवा संवाद अभियान ऐसे युवाओं का अभियान है.
डॉ ए के अरुण ने कहा कि भारत में नई आर्थिक नीति लागू करने के समय जो सपने और सब्जबाग दिखाए गए थे वह पच्चीस साल बाद आज दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रहे हैं. आर्थिक वैश्विक नीतियाँ आज खुद दल-दल में फँस गई है. सत्ता और कार्पोरेट के गठजोड रोज दिख रहे है. देश और दुनिया के स्तर पर अमीरी और गरीबी के बढ़ रहे फासले के परिणाम स्वरूप आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संकट अलग-अलग रूप में प्रगट हो रहे हैं. युवा संवाद अभियान चलाने की रणनीति तात्कालिक से ज्यादा दीर्घकालिक होनी चाहिए. हमारी कार्यप्रणाली सामूहिक, समतावादी और प्रगतिगामी होनी चाहिए. समस्या आधारित आन्दोलन से व्यवस्था परिवर्तन नहीं हो सकता,क्योकि उसमें व्यापक जन-जुड़ाव नहीं हो सकता. अभियान की विश्वसनीयता को स्थापित करना और कायम रखना हम सब की जिम्मेदारी है.सन 2019 तक 15-20 लाख युवाओं से संवाद स्थापित करने का लक्ष्य होना चाहिए. इसके लिए एक राष्ट्रीय अभियान दल का गठन होना चाहिए.
महिला चेतना केंद्र की प्रमुख वीणा बहन ने कहा कि गांधीजी का मानना था कि आर्थिक समानता और सामाजिक न्याय के बिना राजनीतिक आज़ादी अधूरी है.सामाजिक न्याय की प्राप्ति अहिंसक क्रांति के द्वारा ही हो सकती है. सर्वोदय आश्रम की अध्यक्षा उर्मिला बहन ने कहा कि महात्मा गाँधी के जीवन एवं विचारों से ही आज की समस्याओं का हल संभव है. गांधीजी ने तोप शक्ति के आगे आत्मशक्ति को खड़ा किया जो कल से ज्यादा आज प्रसांगिक है. मध्य प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि अभियान की शुरुआत एक सही कदम है. अभियान की तरफ से एक यात्रा विश्वविद्यालय-कॉलेज से निकालनी चाहिए. जागृति राही ने कहा कि हमें इतिहास के बोझ से मुक्त होना चाहिए .सही तथ्य युवाओं तक पहुँचाना चाहिए. विकास का मतलब सिर्फ शहरों का विकास हो गया है गाँव के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है. हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति की डॉ शुभा ने कहा कि युवाओं को सोशल लीडर के रूप में स्वीकार करना चाहिए जिसने अच्छा काम किया उसे अपना हीरो स्वीकार करना चाहिए. समाज में भेद-भाव ख़त्म नहीं हुआ, क्योकि इसके खिलाफ कोई आन्दोलन नहीं हुआ जैसा गांधीजी ने किया था. वीरेन्द्र क्रन्तिकारी ने कहा कि हमें अपने मित्रों को इस अभियान से जुड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस वर्ष राजस्थान के बारह जिलों में हम अभियान के कार्यक्रम आयोजित करेंगे. दिल्ली सर्वोदय मंडल के संयोजक अशोक शरण ने रचनात्मक संस्थाओं को अभियान से जोड़ने का सुझाव दिया. युवा भारत के राष्ट्रीय समन्वयक दयानंद ने कहा कि रोजगार को केंद्र में रख वैकल्पिक समाज निर्माण के मुद्दे पर संवाद होना चाहिए. युवाओं के सवाल, स्त्री-पुरुष संबंधो पर युवाओं से संवाद होना चाहिए और उसे समाज में ले जाना चाहिए.महात्मा गाँधी ने जो सेवाग्राम में प्रयोग किए उन्हें देखना चाहिए. बलवंत ने कहा कि विभिन्न विचार धाराओं से युवा को अवगत करना चाहिए.विजय भारतीया ने कहा कि अभियान किन मूल्यों की बात करता है तय होना चाहिए.
कार्यशाला में युवाओं ने खुलकर अपने विचार प्रस्तुत किए.आर्य पी जी कॉलेज का छात्र गीत धींगरा ने कहा कि विकास में धर्म आधारित भेदभाव सबसे बड़ी बाधा है. धर्म किसी को मरना-काटना नहीं सिखाता. हिमानी नारंग ने कहा कि ईश्वर को प्रत्यक्ष रूप में किसी ने कुछ करते नहीं देखा हम उसकी पूजा करते है परन्तु माँ समान प्रकृति, जल जंगल और जमीन जो जीवन के मूल आधार हैं इनकी हम अनदेखी करते है. साक्षी खुराना ने कहा कि विश्व में अनेक देश हैं,पर भारत की अलग पहचान है यह पहचान हमें हमारी भारतीयता से मिलती है, संस्कृति से मिलती है. भक्त फुल सिंह महिला विश्वविद्यालय की आशा ने कहा कि नारी स्वतंत्रता व मुक्ति का संघर्ष मानवीय कल्पनाओं पर आधारित भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का हिस्सा है लेकिन आज महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है. घर में भी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. मंजू ने कहा कि महिलाओं के बारे में समाज के नजरिये में बदलाव लाना जरूरी है महिलाओं को सेक्स सिंबल के रूप में नहीं देखना चाहिए. महिलाओं की स्थिति में बदलाव के लिए युवाओं को पहल करनी चाहिए इंदु ने कहा कि सब लोगों को पढने का अधिकार नहीं है. श्रुति ठकराल ने कहा कि भारतीयता सरल स्वस्थ जीवन की कामना है जो शांति और विश्व बंधुत्व की पोषक है. आर्थिक विकास तभी संभव है जब देश में शांति का वातावरण हो.
कार्यशाला में शाहिद कमाल,फैसल खान,एरम,फराह शाकेब, राजपाल मिश्र, सत्येन्द्र यादव, राजू राज, गन्ता नारायण, उमेश तुरी, कृष्णा महतो, राज कुमार, दीप्ती, प्रो.ज्ञान मेहरा, कृष्ण कांता, इंदु बाला, आशु कपूर, दिनाक्षी, महेंद्र प्रताप, प्रो.कंचन, रमेश पुहाल, विकास नारायण राय, दया सिंह, किरण सिंह तथा सुनीता आनंद, दीपक कथूरिया आदि ने चर्चा में भाग लेकर इसे समृद्ध किया. अलग-अलग सत्रों की अध्यक्षता राधा भट्ट ,दयानंद, चन्दन पाल, जागृति राही एवं विलास सोनवने तथा संचालन संजय सिंह, रवि नितेश एवं डॉ ए के अरुण ने किया.
महत्वपूर्ण निर्णय :
राष्ट्रीय अभियान दल : सर्व सम्मति से कार्यशाला में उपस्थित एवं जिनसे अभियान के बारे में बातचीत हुई थी और किसी कारण से वे कार्यशाला में शामिल नहीं सकें हैं उनको शामिल कर एक राष्ट्रीय अभियान दल का गठन किया गया है .इस प्रकार की कार्यशाला देश के अलग-अलग हिस्से में आयोजित कर अभियान दल का विस्तार किया जायेगा.
वैकल्पिक विकास नीति कार्य दल : कार्यशाला में वैकल्पिक विकास नीति तैयार करने के लिए एक कार्यदल का गठन किया गया है जो वैकल्पिक विकास नीति का मसौदा तैयार करेगा. देशभर में चर्चा के बाद उसे देश के सामने प्रस्तुत किया जायेगा.
मीडिया टीम : अभियान का साहित्य विकसित करने तथा प्रिंट एवं सोशल मीडिया पर विचार-प्रचार के लिए एक मीडिया टीम का गठन किया गया है .
संवाद टीम : युवाओं से संवाद करने के लिए एक युवा कार्यकर्ताओं की एक टीम का गठन किया गया है जो देश के अलग-अलग हिस्से में जा कर युवाओं से संवाद करेगी. संवाद टीम की एक कार्यशाला अगले महीने आयोजित होगी
संचालन टीम : सम्पूर्ण कार्यक्रम को सुव्यवस्थित रूप से चलाने के लिए एक संचालन टीम का गठन किया गया है.
अभियान का अगला कार्यक्रम: अभियान का मार्च 2016 तक का कार्यक्रम बनाया गया है .अभियान का अगला कार्यक्रम मुरादाबाद, अलवर, बरेली ,करनाल, दिल्ली, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ, मुजफ्फरपुर, नागपुर, वर्धा, गोदावरी खान, एवं बंगलुरु अगरतल्ला,इम्फाल, आइज़ल, कलिंगपोंग अदि स्थानों पर होगा.
पानीपत के सम्पूर्ण कार्यक्रम को राम मोहन राय के नेतृत्व में निर्मला शिक्षण संस्थान के शिक्षकाओं एवं विद्यार्थियों तथा भगत सिंह से दोस्ती मंच के साथियों ने दीपक कथूरिया के कुशल नेतृत्व में जिस तन्मयता,समर्पण एवं उत्साह के साथ किया वह अत्यंत प्रेरणादायक अनुभव रहा . सभी लोग उत्साह एवं नए संकल्प के साथ अपने-अपने स्थान को लौटे .
कार्यक्रम का समापन जम्मू एवं कश्मीर के याकूब डार के कश्मीरी तथा मीनाक्षी के राष्ट्रभक्ति गीत से हुआ. अशोक भारत एवं राममोहन राय ने सभी लोगो के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया जिनकी भागीदारी एवं सहयोग से यह कार्यशाला शानदार तरीके से सफलतापूर्वक संपन्न हुई.
– अशोक भारत
युवा संवाद अभियान टीम
वैकल्पिक विकास नीति कार्यदल
1. राधा भट्ट 2 विलास सोनवने 3. प्रो.कमाल नयन काबरा 4. ए के अरुण 5. बिमलकुमार 6. शशिकांत सोनवने 7. डॉ योगेन्द्र 8. संजय सिंह 9. रमेश ओजा 10. इस्लाम हुसैन 11. सुरेश भाई 12. अरुण कुमार त्रिपाठी 13. प्रवीणा देसाई 14.चन्दन पाल 15. अशोक भारत 16. राजपाल मिश्र 17.अमित
संवाद टीम
1.दयानंद 2. संजय सिंह 3. मीनाक्षी 4. राममोहन राय 5. शशिकांत सोनवने 6. गौतम 7. सरिता भारत 8. वीरेन्द्र क्रन्तिकारी 9.जागृति राही 10. दीपक कथूरिया 11.उमेश कुमार तुरी 12. विजय भारतीया 13. प्रभाकर पुसदकर14.राजकुमार15. दीप्ती 16.मो.याकूब डार 17.ए के अरुण 18.सत्येन्द्र यादव 19. कृष्णा महतो 20. राजू राज 21. गन्ता नारायण 22. धर्मेन्द्र राजपूत 23. इनामुल हसन
मिडिया टीम
1. ए के अरुण 2. शशिकांत सोनवाने 3. अरुण कुमार त्रिपाठी 4. मीनाक्षी 5. राममोहन राय 6. अशोक शरण 7. रवि नितेश 8. दयानंद 9.अमित
संचालन टीम
1.अशोक भारत 2. ए के अरुण 3. दयानंद 4. शशिकांत सोनवने 5.जागृति राही 6. संजय सिंह 7. राममोहन राय 8. सरिता भारत 9.प्रभाकर पुसदकर 10. वीरेन्द्र क्रातिकारी 11.अमित.
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