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अहिंसा की ताकत

हिंसा का मुकाबला हिंसा से करने की जग की रीत रही है और इसकी सीमाएं भी जगजाहिर है । मानव सभ्यता के इतिहास में महात्मा गांधी संभवत:  पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने यह सिद्ध...

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हिंदी राष्ट्रव्यापी जागरण के प्रणेता महात्मा गांधी

महात्मा गांधी का व्यक्तित्व बहु – आयामी था । शायद ही कोई क्षेत्र था  जिसके लिए उन्होंने कार्य  नहीं किया, जो   उनसे प्रभावित नहीं  रहा हो।  उनके विभिन्न आयामों पर अनेक पुस्तकें लिखी गई...

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चला गया हिमालय में महात्मा गांधी का सिपाही

चिपको आंदोलन के प्रणेता के रूप में चर्चित एवं वरिष्ठ सर्वोदयी  सुंदरलाल बहुगुणा का निधन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान , ऋषिकेश में 21 मई को हो गया। वे करोना से पीडित  थे ।  8...

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बिहार में बदलाव के आसार

बिहार में चुनावी सरगर्मी चरम पर है । 3 चरणों में होने वाले विधानसभा के लिए मतदान का  पहला चरण 28 अक्टूबर,  दूसरा चरण 3 नवंबर और तीसरा 7 नवंबर को है। । चुनावी...

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किसान आन्दोलन क्यों?

किसानों के आंदोलन और विपक्ष के भारी विरोध के बीच   संसद ने कृषि विधेयक को पारित कर दिया। वैसे जिस प्रकार से इस विधेयक को राज्यसभा से पास कराया गया,  वह देश के लोकतंत्र...

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विनोबा : कर्म, ज्ञान और भक्ति का अद्भुत समन्वय

12 वर्ष की उम्र में ब्रह्मचर्य का संकल्प  तथा 21 वें वर्ष में ब्रह्म साक्षात्कार   की जिज्ञासा से गृह त्याग करनेवाले  संत विनोबा जी   का जीवन अद्वैत की अखंड साधना तथा गीता से ओतप्रोत...

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आजादी के सपने जो बन न सके अपने

असंख्य लोगों के असीम त्याग और बलिदान और लम्बे संघर्ष के बाद 15 अगस्त,1947 को देश को आजादी मिली। हमारे शहीदों और राष्ट्रनिर्माताओं का सपना क्या था? वे कैसा आजाद भारत बनाना चाहते थे?...

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इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए

महिलाओं के खिलाफ देश में बढ़ रहे हिंसा,बर्बरता,बालात्कार और यौन उत्पीड़न के मामले बेहद चिंताजनक हैं।  पिछले दिनों 16 अगस्त को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 13 वर्ष की दलित बच्ची के साथ...

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बैंक : आर्थिक विकास की धुरी

बैंकों के विकास का इतिहास बहुत पुराना है । सभ्यता के विकास के साथ ही बैंकों का भी विकास हुआ है । बैंक शब्द बैनको(Banco ) से निकला है जिसका अर्थ है बेंच पर...

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गाँधी–स्मरण — भवानी प्रसाद मिश्र

तुम्हारा रूप, जैसे जाड़े की धूप, हल्का और प्रकाशवान और आकर्षक, कि खड़े रहो छाया में उस धुप की घंटो तक, जी नहीं होता था हटने का.   तुम्हारा स्नेह, जैसे जेठ में मेह,...